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माइंडफुलनेस थैरेपी और एक्सरसाइज करिए; तनाव, डिप्रेशन, दर्द, घबराहट और मोटापे से निजात मिलेगी, इसे समझने के लिए 6 जरूरी बातों पर ध्यान दें

कोरोना के दौर में लोग खुश रहने के तरीके ढूंढ़ रहे हैं। इसके लिए वैज्ञानिक माइंडफुलनेस थैरेपी और एक्सरसाइज को कारगर बता रहे हैं। हाल ही में आई कुछ स्टडी में यह पता चला है कि माइंडफुलनेस से पुराने दर्द, तनाव, डिप्रेशन, घबराहट से निजात मिल सकती है। इसके अलावा मोटापा भी कम हो सकता है।

माइंडफुलनेस थैरेपी क्या है? यह कैसे काम करती है? इसके बारे में एक्सपर्ट्स बताते हैं कि माइंडफुलनेस एक तरह का ध्यान है, जिसकी मदद से आप वर्तमान में रहते हैं और चीजों पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं।

साइकोलॉजिस्ट और रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉक्टर निशा खन्ना कहती हैं कि जो चीजें हमारे सामने हैं, उसे हूबहू स्वीकार करना ही माइंडफुलनेस है। इसके लिए हमें अपने पांचों सेंस आर्गन्स का अधिकतम इस्तेमाल करना होता है। इसमें ध्यान लगाने के लिए हमें किसी तय वक्त की जरूरत भी नहीं है।

माइंडफुलनेस में हम जिस लम्हा, जहां होते हैं, वहीं अपना पूरा ध्यान लगाते हैं। उस पल को पूरी तरह से महसूस करना और जीना होता है। बस इसके लिए कमर सीधी रखकर कुर्सी पर या फिर चौकड़ी मारकर जमीन पर बैठें। माइंडफुलनेस की रेग्युलर प्रैक्टिस से हम खुश रहना सीख जाते हैं।

माइंडफुलनेस को समझने के लिए हमें क्या करना होगा?

डॉक्टर निशा खन्ना बताती हैं कि माइंडफुलनेस का मतलब होता है कि बहुत ज्यादा भविष्य के बारे में न सोचें, वर्तमान में जीएं। आज का आनंद लें और जो कुछ कर रहे हैं, उसी पर फोकस करें। इसे समझने के लिए इन 6 बातों पर ध्यान दें...।

  1. भविष्य के बारे में न सोचें: कई बार हमारा अधिकांश समय भविष्य के बारे में सोचने में बीत जाता है। इसके चक्कर में हम अपने वर्तमान को खराब कर लेते हैं। इसलिए हमारी पहली कोशिश होनी चाहिए कि हम अपने दिल और दिमाग को शांत रखें। यदि ऐसा आप करते हैं तो आप हमेशा बेहतर कर पाएंगे।
  2. हमारा फोकस खुद पर हो: बहुत ज्यादा सोचने से भी काम बिगड़ता है। इसलिए हमें अपने किसी भी काम को धैर्य के साथ करना चाहिए। हमारा फोकस खुद पर होना चाहिए, दूसरों पर नहीं। हमें अपने शरीर और इमोशन पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है, क्योंकि जब आप क्रोधित होते हैं तो समस्याओं को ज्यादा बढ़ाते हैं।
  3. सच को स्वीकार करना सीखें: मान लीजिए आपकी तबियत खराब है और आप यह मानने को तैयार नहीं हैं। लेकिन, जब यह आप स्वीकार करेंगे, तभी इससे बाहर आने की कोशिश करेंगे। सकारात्मक सोचेंगे। लाइफ में कुछ भी आराम से नहीं मिलने वाला है। यदि आप दर्द को महसूस नहीं करेंगे, तो खुशी नहीं पाएंगे। इसलिए चीजों को स्वीकार करके आगे बढ़ना चाहिए।
  4. 5 सेंस आर्गन्स का इस्तेमाल करें: जब चीजों को समझना और स्वीकार करना शुरू कर देंगे तो लाइफ में सबकुछ सही होगा। यदि आपने किसी के बारे में बुरा सोच रखा है और आगे वह सही निकला, तो इससे आपकी धारणा टूटेगी। इसलिए हर स्थिति में हमें अपने 5 सेंस आर्गन्स को मैक्सिमम इस्तेमाल करना है। किसी को ध्यान से सुनें। सेल्फ अवेयर रहें।
  5. सच को तलाशें: हममें ऐक्सैप्टैंस आ जाने के बाद लाइफ आसान हो जाती है। आप जो भी कर रहे हैं, उसमें सच को तलाशें। सामने वाले को हूबहू स्वीकार करें। इसे ऐसे समझें कि जब अब ठंडे पानी से नहाते हैं, तो वो पानी गर्म नहीं हो जाता है।
  6. एक समय पर एक काम करें: ध्यान में हम इस तरह की आदत भी डाल सकते हैं। जैसे- हम एक समय पर एक ही काम करें। किसी को सुन रहे हैं तो उसे पूरा सुनें। सामने वाले को पूरा बोलने का मौका दें। इसके बाद जब हम शांत होंगे तो चीजें आसान हो जाएंगी।

माइंडफुलनेस को लेकर रिसर्च क्या कहती हैं?

  • जर्नल ऑफ द अमेरिकन ऑस्टियोपैथिक एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी से पता चला है कि माइंडफुलनेस बेस्ड स्ट्रेस रिडक्शन (MBSR) कोर्स क्रोनिक पेन और तनाव के मरीजों के लिए फायदेमंद है। MBSR कोर्स के तहत घबराहट, चिंता, तनाव और दर्द से जूझ रहे लोगों को 8 हफ्तों तक माइंडफुलनेस ट्रेनिंग दी जाती है। स्टडी में शामिल 89% लोगों का कहना है कि इस प्रोग्राम की मदद से उन्हें दर्द का सामना करने के नए तरीके मिले, जबकि, 11% लोग सामान्य रहे।
  • ब्रिटेन के बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में पाया है कि माइंडफुलनेस एक्सरसाइज से मोटापा कम हो सकता है। इसके लिए कुछ टूल्स भी बनाए हैं। पहला माइंडफुल कंस्ट्रक्शनल डायरी और दूसरी माइंडफुल चॉकलेट प्रैक्टिस।
  • कैसेर फैमिली फाउंडेशन की स्टडी के मुताबिक गूगल, इंटेल और एटेना जैसी कंपनियों में माइंडफुल प्रैक्टिस शुरू करने से वर्कप्लेस पर तनाव कम हुआ है। इसके अलावा प्रोडक्टिविटी, सोच का दायरा और काम पर फोकस बढ़ा है। रिसर्च में पाया गया है कि करीब 40% अमेरिकी लोगों का मानना है कि कोरोनावायरस महामारी के चलते उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ है।
  • 2018 में आई इंडियन जर्नल ऑफ पैलिएटिव केयर की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की 19.3% वयस्क आबादी क्रोनिक दर्द से जूझ रही है। अगर आंकड़ों में बात की जाए तो यह संख्या 18 से 20 करोड़ के बीच हो सकती है।


कल पढ़िए... माइंडफुलनेस के 18 फायदों और इस एक्सरसाइज को करने के 5 खास तरीकों के बारे में...



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Mindfulness Exercises Health Benefits | Know How Mindfulness Exercises useful for Stress, Depression, Nervousness And Obesity


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