अमेरिकी हेल्थ एजेंसी सीडीसी ने विरोध के बाद फैसला पलटा, कहा- यदि किसी संक्रमित व्यक्ति से 15 मिनट मिले हैं तो टेस्ट कराएं

अपूर्वा मंडाविली. अमेरिका की हेल्थ एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (सीडीसी) ने नई गाइडलाइन जारी की है। पहले 24 अगस्त को सीडीसी ने कहा था कि जो लोग किसी कोरोनावायरस संक्रमित के संपर्क में आए हैं और उन्हें लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं तो ऐसे लोगों को टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है। इस दावे का इन्फेक्शियस डिसीजेस सोसाइटी ऑफ अमेरिका समेत कई सीडीसी सहयोगियों ने जमकर विरोध किया। इसके बाद अब सीडीसी ने अपनी सिफारिश वापस ले ली है। एजेंसी ने साफ किया है कि किसी भी संक्रमित व्यक्ति से अगर आप 15 मिनट से ज्यादा मिले हैं, तो आपको टेस्ट कराने की जरूरत है।
शुक्रवार को संस्था के अध्यक्ष डॉक्टर थॉमस फाइल ने कहा कि सीडीसी की तरफ से टेस्ट को लेकर साइंस आधारित नई सलाह पब्लिक हेल्थ के लिए अच्छी खबर है। बीमारी से बचने के लिए कोविड 19 संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों की टेस्टिंग करना जरूरी हिस्सा है।
बिना लक्षण वाले भी फैला सकते हैं वायरस
- कई स्टडी बताती हैं कि जिन लोगों में कोरोनावायरस के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, वे भी वायरस दूसरों तक फैला सकते हैं। कुछ रिसर्च में सामने आया कि ऐसे लोगों की ही दूसरों में वायरस फैलाने की संभावना ज्यादा होती है।
- बाल्टीमोर की पूर्व असिस्टेंट हेल्थ कमिश्नर डॉक्टर लीना वेन ने कहा, 'हम जानते हैं कि एसिंप्टोमैटिक ट्रांसमिशन ही महामारी को बढ़ा रहा है। हमें बड़े स्तर पर आसान टेस्टिंग करानी होंगी। हमें लोगों को टेस्ट कराने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।'
एजेंसी के नए फैसले से खुश एक्सपर्ट्स
- पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट्स ने इस बदलाव का स्वागत उस स्टडी के संबंध में किया है, जिसमें कहा जा रहा था कि बिना लक्षण वाले लोग दूसरों तक वायरस फैला सकते हैं। नॉन प्रॉफिट पब्लिक हेल्थ इंस्टीट्यूट में प्रेसिडेंट और चीफ एग्जीक्यूटिव डॉक्टर मैरी पिटमैन ने कहा, 'यह जरूरी है कि साइंस, सबूत और डेटा सीडीसी की हर सलाह में नींव का काम करे।'
- एसोसिएशन ऑफ पब्लिक हेल्थ लैबोरेट्रीज के चीफ एग्जीक्यूटिव स्कॉट बैकर ने बताया, 'यह देखकर अच्छा लगा कि साइंस और सबूत इस बदलाव का कारण बने।' ब्राउन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डीन डॉक्टर आशीष झा कहते हैं कि मैं यह देखकर उत्साहित हूं, ऐसा होना ही था।'
सीडीसी की विश्वसनीयता कम हुई
डॉक्टर झा ने चिंता जताई कि इससे एजेंसी की विश्वसनीयता कम हुई है। 2009 में संस्था की डायरेक्टर रहे डॉक्टर रिचर्ड बैसर ने कहते हैं कि संकट के समय में सीडीसी और सरकार के पास जो सबसे जरूरी हथियार है, वह है भरोसा। उन्होंने कहा कि जब आप भरोसा खो देते हैं, तो दोबारा हासिल करना मुश्किल हो जाता है।
सीडीएस ने दबाव में फैसला लिया था
आमतौर पर एजेंसी के साइंटिफिक फैसले और रिपोर्ट्स को दर्जनों वैज्ञानिक कंट्रोल करते हैं। इन गाइडलाइन में बदलाव और रिवीजन का काम बड़े स्तर पर व्हाइट हाउस और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज में बनी कोरोनावायरस की टास्क फोर्स के नियंत्रण में होता है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, यह फैसला ट्रम्प प्रशासन के दबाव की वजह से आया था। इतना ही नहीं, इसमें एजेंसी के समीक्षा वाले हिस्से को भी छोड़ दिया गया था। एजेंसी के पूर्व निदेशकों ने कहा कि व्हाइट हाउस और डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ एंड ह्यूमन सर्विसेज में मौजूद प्रशासनिक अधिकारियों तक जरूरी कागजों का जाना आम है, लेकिन जिस हद तक सीडीसी के फैसले में दखल दी गई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2EhQ1V5
via IFTTT
No comments