कोरोना के चलते देश में ब्लड डोनेशन कैंप 5 गुना तक घटे; एक्सपर्ट्स बोले- बीमारी से उबरने के 6 महीने बाद ही रक्तदान करें
आजदुनियाभर में रक्तदान करने वालों के सम्मान में ब्लड डोनरडे मनाया जा रहा है, लेकिन इस बार कोरोनावायरस ने इस दिन की खुशी को फीका कर दिया है। महामारी शुरू होने के बाद से ही देश में रक्तदान का ग्राफ तेजी से गिरा है। ब्लड डोनेशन रेट गिरने के पीछे का मुख्य कारण सोशल डिस्टेंसिंग और ब्लड कैम्प्स रद्द होना है। नेशनल हेल्थ मिशन की वेबसाइट ई-रक्तकोश के मुताबिक, इस साल जनवरी में देश में606 ब्लड कैम्प लगे थे,जबकि जून में यह आंकड़ा 118 पर पहुंच गया। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ब्लड डोनर्स में कमी की ओर इशारा कर चुका है।
लोगों में ब्लड डोनेशन को लेकर डरहै
इस वक्त ब्लड डोनेशन को लेकर लोगों के जेहन में भीकई तरह के संदेह हैं। क्या हम शराब पीकर खून दे सकते हैं? क्या टैटू कराने के बाद रक्तदान करना चाहिए? क्या कोरोना से ठीक हुआ व्यक्ति ब्लड डोनेट कर सकता है?ऐसे और भीकई सवाल लोगों के मन में डर पैदा कर रहेहैं।
गुजरात के आईओसी वडोदरा में सीनियर कंस्लटेंट सर्जन और सीएमओ डॉक्टर हिमांशु पांडेय और हेड ऑफ डिपार्टमेंट ब्लड बैंक इंडियन रेड क्रॉस सोसाइटी में ब्लड बैंक इंचार्ज डॉक्टर ओपी श्रीवास्तव इस तरह के डर को गलत बतातेहैं। हालांकि, वे इस वक्त कई तरह की सावधानियों की सलाह देते हैं।
डॉ. पांडेय और डॉ. श्रीवास्तवलोगों केडर और ब्लड डोनेशन से जुड़े11सवालों के जवाब दे रहे हैं-
- दुनिया की 16 प्रतिशत आबादी से आता है 40 फीसदी ब्लड डोनेशन
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट बताती है किदुनियाभर में हुए 11.85 करोड़ डोनेशन का 40 प्रतिशत हाई इनकम देशों से आता है। यह दुनिया की कुल आबादी का 16 प्रतिशत है। डब्ल्युएचो के मुताबिक, 2013 से 2018 के बीच स्वेच्छा से और मुफ्त किए गए रक्तदानों में 78 लाख का इजाफा हुआ है। 79 देशों ने अपनी ब्लड सप्लाई का 90 फीसदी वॉलंट्री ब्लड डोनर्स से लिया। जबकि 56 देशों ने अपनी सप्लाई का आधे से ज्यादा ब्लड परिवार/रिप्लेस्मेंट या पेड डोनर्स से लिया।
- क्या सावधानी रखें?
- डब्ल्यूएचओ के मुताबिक 1 फीसदी आबादी को करना चाहिए रक्तदान
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, किसी भी देश की 1%आबादी के रक्तदान को राष्ट्र की जरूरत पूरी करने के लिए न्यूनतम माना जाता है। इस लिहाज से 135 करोड़ की जनसंख्या वाले भारत में 1.35 करोड़ डोनेशन की जरूरत है। भारत हर साल करीब 1.1 करोड़ रक्तदान होते हैं। द लैंसेट की स्टडी के मुताबिक, 2018 में भारत में 1.24 करोड़ डोनेशन हुए थे। भारत में ब्लड यूनिट्स की कमी खासकर मार्च से जुलाई के बीच होती है। क्योंकि इस दौरान वॉलंट्री यानी इच्छा से रक्तदान करने वाले छुट्टी या परीक्षाओं में व्यस्त होते हैं।
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